कभी‑कभी शब्द हमारी भावनाओं से भी ज़्यादा ताक़तवर साबित होते हैं। 💭 जब दिल की चुप्पियाँ लफ़्ज़ों में ढल जाएँ, तो वही शायरी कहलाती है। और अगर उन लफ़्ज़ों की खुशबू gulzar हिंदी शायरी दो लाइन जैसी हो तो, हर दिल तक सीधी पहुंच जाती है। 💖 यही वजह है कि हम यहाँ आपके लिए सिर्फ़ शायरी नहीं, बल्कि एक एहसास, एक जज़्बात और एक नज़रिया लेकर आए हैं।
👉 अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो शब्दों के गहरे समंदर में उतरना पसंद करते हैं, तो यह जगह आपके लिए ही है। यहाँ आपको बार‑बार वही सुकून मिलेगा, जो गुलज़ार हिंदी शायरी दो लाइन पढ़कर दिल को छू जाता है।
तो आइए, शब्दों के इस सफ़र की शुरुआत करें और शायरी के उस मायने से रूबरू हों जहाँ हर लाइन आपके दिल की धड़कनों को बयां करती है। ❤️
32+ Best collection gulzar हिंदी शायरी दो लाइन
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमड़ती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई
उसी का ईमाँ बदल गया है
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
फिर वहीं लौट के जाना होगा
यार ने कैसी रिहाई दी हैज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है

आँखों के पोछने से लगा आग का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ
ज़िंदगी पर भी कोई ज़ोर नहीं
दिल ने हर चीज़ पराई दी है
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है
काई सी जम गई है आँखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है
उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले
सहर न आई कई बार नींद से जागे
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले
कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
तो दोस्तों! उम्मीद है कि इस gulzar हिंदी शायरी दो लाइन ने आपके दिल को छुआ होगा और आपको एहसास कराया होगा कि असली शायरी सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं होती, बल्कि महसूस करने के लिए होती है। ✨
यहाँ हर शायरी आपके मूड और इमोशन्स को और गहराई देती है –
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प्यार भरे लम्हों को और ख़ास बनाने के लिए
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तन्हाई की रातों में दिल को सुकून देने के लिए
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किसी खास तक अपने जज़्बात पहुँचाने के लिए
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और कभी‑कभी खुद से ही रूबरू होने के लिए
तो अब देर किस बात की? अपनी पसंदीदा शायरी को पढ़िए, शेयर करिए और देखिए कैसे यह न सिर्फ़ आपकी ज़िंदगी में बल्कि आपके करीबियों के दिलों में भी असर छोड़ती है।
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